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लेखनी प्रतियोगिता -04-Mar-2023

स्वैच्छिक 

कहानी (प्रतियोगिता के लिए) 

 मेरी माँ से सुन्दर कोई नहीं
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एक बार गणेशजी ने भगवान शंकर से कहा कि पिताजी ! आप यह चिताभस्म ,लगाकर, मुण्डमाला धारणकर अच्छे नहीं लगते, मेरी माता गौरी अपूर्व सुंदरी और आप उनके साथ इस भयंकर रूप में,,

पिताजी ! आप एक बार कृपा करके अपने सुंदर रूप में माता के सम्मुख आएं, जिससे हम आपका असली स्वरूप देख सकें !

*भगवान शंकर मुस्कुराये और गणेशजी की बात मान ली,,*

*कुछ समय बाद जब महादेव स्नान करके लौटे तो उनके शरीर पर भस्म नहीं थी , बिखरी जटाएं सँवरी हुई, मुण्डमाला उतरी हुई थी !*

*सभी देवता, यक्ष, गंधर्व, शिवगण उन्हें अपलक देखते रह गये,*

*वो ऐसा रूप था कि मोहिनी अवतार रूप भी फीका पड़ जाये !*

*भगवान शंकर ने अपना यह रूप कभी भी प्रकट नहीं किया था !*

*महादेव का ऐसा अतुलनीय रूप कि करोड़ों कामदेव को भी मलिन कर रहा था !*

*गणेशजी अपने पिता की इस मनमोहक छवि को देखकर स्तब्ध रह गए और मस्तक झुकाकर बोले -*

*मुझे क्षमा करें पिताजी ! परन्तु अब आप अपने पूर्व स्वरूप को धारण कर लीजिए।।*

*भगवान शंकर मुस्कुराये और पूछा- क्यों पुत्र अभी तो तुमने ही मुझे इस रूप में देखने की इच्छा प्रकट की थी,*
*अब पुनः पूर्व स्वरूप में आने की बात क्यों ?*

*गणेशजी ने मस्तक झुकाये हुए ही कहा -*

*क्षमा करें पिताश्री !*

*मेरी माता से सुंदर कोई और दिखे मैं ऐसा कदापि नहीं चाहता !*

*इसपर महादेव हँसे और अपने पुराने स्वरूप में लौट आये !

*प्रेम से बोलिए हर हर महादेव

अपर्णा "गौरी" 

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9 Comments

बेहतरीन

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Sant kumar sarthi

06-Mar-2023 12:30 PM

बेहतरीन

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kashish

05-Mar-2023 02:20 PM

nice story mam

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